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संवाद

अखबारों ने मांगा मोदी सरकार से राहत पैकेज, 15,000 करोड़ रुपये के घाटे का किया दावा

-संवाद सेतु डेस्क

भारत में कोरोना से घटा अखबारों का विस्तार, जल्द ही डिजिटल के पाठक होंगे 28 करोड़ के पार

-संवाद सेतु डेस्क

लॉकडाउन की पत्रकारों पर गाज, कई मीडिया संस्थानों में कटी सैलरी

-संवाद सेतु डेस्क

मायानगरी के अंधेर में आउटसाइडर्स का एनकाउंटर

-दीपक शांडिल्य

एप्स प्रतिबंध: पता चल गया है चीन की जान किस तोते में बसती है

-मौनस तलवार

उमा का सवाल, मीडिया में बवाल

-डॉ. जयप्रकाश सिंह

चमकता रजतपटल, चुकता स्मृतिपटल

-डॉ. जयप्रकाश सिंह

दूरदर्शन के नंबर वन होने के बाद टीआरपी के लिए स्टार प्लस भी लेगा रामायण का सहारा

-संवाद सेतु डेस्क

भारतीय लोक को नकारता बॉलीवुड

-सूर्यप्रकाश

आल्ह खंड: लोकसंवाद में वीरता, समरसता की अमर कहानी

-सूर्यप्रकाश

कोरोना काल में उत्सवधर्मी समाज का लोकसंवाद

-सूर्यप्रकाश

लोकजीवन पर पंडित लखमीचंद की रागनियों और सांग का प्रभाव

-सूर्यप्रकाश

लोकसंवाद में महाराणा प्रताप

-सूर्यप्रकाश

जनसंचार से पहले था आल्हा का लोकसंचार

-सूर्यप्रकाश

मनोगत - सितंबर, 2020

-आशुतोष भटनागर

मनोगत - अगस्त, 2020 :-

-आशुतोष भटनागर

मनोगत - जुलाई, 2020

-आशुतोष भटनागर

मनोगत - जून, 2020

-आशुतोष भटनागर

मनोगत - मई, 2020

-आशुतोष भटनागर

मूवी माफिया के कब्जे में ‘भारतीय मन’

-डॉ. जयप्रकाश सिंह

समय की मांग है सांस्कृतिक-स्वतंत्रता का स्वदेशी-सूचनातंत्र

-डॉ. जयप्रकाश सिंह

मीडिया ’मेड इन चाइना’

-डॉ. जयप्रकाश सिंह

बडे़ बदलाव की दस्तक

-डॉ. प्रमोद कुमार

महामारी का आयरन कर्टेन

-डॉ. जयप्रकाश सिंह

मंथन का महोत्सव कुम्भ

-डॉ. जयप्रकाश सिंह

सरस संकल्पों के बीच कर्कश मीडिया

-डॉ. जयप्रकाश सिंह

संज्ञाओं के संघर्ष में सभ्यता

-डॉ. जयप्रकाश सिंह

जानलेवा बहसों का शोर...

-उमेश चतुर्वेदी

वेब सीरीज - अश्लीलता और फूहड़पन परोसने की आजादी

-हरीश चन्द्र ठाकुर

पाकिस्तानः धारावाहिक के भरोसे इतिहास

-डॉ. शिवपूजन प्रसाद पाठक

सच्चाई की मीडिया-लिंचिंग

-डॉ. जयप्रकाश सिंह

खतरे की घंटी है टिकटॉक की फैंटेसी

-दिनेशा अत्रि

मीडिया के मालिक सोचें, कैसे करना है पत्रकारिता का इस्तेमाल: कुलदीप चंद अग्निहोत्री

-संवाद सेतु डेस्क

सांस्कृतिक परिचय का कोरोना-काल

-शिवा पंचकरण

जिहादी पब्लिक रिलेशन्ज

-डॉ. जयप्रकाश सिंह

कालनेमियों के कुचक्र में सबरीमाला

-मुकेश कुमार सिंह

जब आर्गनाइजर ने लड़ी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की पहली लड़ाई

-सुरजीत सिंह

फिल्मों का कलामूल्य

-त्रिवेणी प्रसाद तिवारी

भारतीय कला में स्वातंत्र्य चेतना

-त्रिवेणी प्रसाद तिवारी

दृश्य परंपरा और इतिहास

-त्रिवेणी प्रसाद तिवारी

होना मेरे मैं सा

-त्रिवेणी प्रसाद तिवारी

मन्दिर : शिल्प और अध्यात्म का संवाद

-त्रिवेणी प्रसाद तिवारी

कला और कुम्भ में संवाद का समय

-त्रिवेणी प्रसाद तिवारी

भाव का अंतःसंवाद

-त्रिवेणी प्रसाद तिवारी

भारतीय कला में प्रमाशक्ति या कला की प्रमाशक्ति

-त्रिवेणी प्रसाद तिवारी

सौदेबाजी की राह पर पत्रकारिता: अशोक टंडन

-संवाद सेतु डेस्क

मीडिया समाज हित से कट गया है- जवाहर लाल कौल

-संवाद सेतु डेस्क

मीडिया से मल्टी-मीडिया बनी पत्रकारिता: बलदेव भाई

-संवाद सेतु डेस्क

पंचायती राज से रूबरू नहीं है मीडिया : श्रीपाल जैन

-संवाद सेतु डेस्क

दाम मजदूर से कम, काम मालिक की निगरानी : अजय मित्तल

-संवाद सेतु डेस्क

सूचना का माध्यम पश्चिमी गेटकीपर्स : विजय क्रान्ति

-संवाद सेतु डेस्क

पत्रकारिता में तौबा-तौबा का मुकाम

-अवनीश सिंह राजपूत

रॉकेट्री: फिल्म जो कहा गया, उसे ध्यान से सुनना है और जो नहीं कहा गया, उसे ध्यान से समझना है

-डॉ. जयप्रकाश सिंह

सम्राट पृथ्वीराज: लगभग एक फिल्मी महाकाव्य रच गए है डॉ.चंद्रप्रकाश द्विवेदी

-डॉ. जयप्रकाश सिंह

इतिहास और वर्तमान के भ्रमों की यात्रा है... सार्थ

-त्रिवेणी प्रसाद तिवारी

सच्चाई को दिखाने का साहसी प्रयास ’द जज’

-दिनेशा अत्रि

सही मोर्चे की खबर

-डॉ. जयप्रकाश सिंह

लाल सलाम का काला कलाम

-डॉ. जयप्रकाश सिंह

भारतीय यर्थाथ का फिल्मी मोहल्ला

-डॉ. जयप्रकाश सिंह

व्यक्त नहीं कर पाई ‘संजु’

-आनंद

पत्रकारिता के प्रकाशपुंज बाबूराव विष्णु पराड़कर

-सूर्यप्रकाश

समाचार पत्र सर्व-साधारण के लिए नहीं रहे- गणेश शंकर विद्यार्थी

-सूर्यप्रकाश

मतवाला पत्रकार सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

-सूर्यप्रकाश

साहित्यिक पत्रकारिता के स्तंभ- शिवपूजन सहाय

-सूर्यप्रकाश

हिंदी पत्रकारिता के अमिट हस्ताक्षर- राजेंद्र माथुर

-सूर्यप्रकाश

‘हिंदी केसरी’ माधवराव सप्रे

-सूर्यप्रकाश

ओटीटी प्लेटफार्म

-रविन्द्र सिंह भड़वाल

आईसीटीसी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और सुरक्षा का प्रश्न

-रविन्द्र सिंह भड़वाल

कीबोर्ड करेज

-रविन्द्र सिंह भड़वाल

मिलेनियल्स

-रविन्द्र सिंह भड़वाल

वेबीनार

-रविन्द्र सिंह भड़वाल

साइऑप्स (साइकोलॉजिकल ऑपरेशन्ज)

-रविन्द्र सिंह भड़वाल

मोजो की मौजभरी पत्रकारिता

-रविन्द्र सिंह भड़वाल

हॉलीवुड का सांस्कृतिक-मायालोक 

-जयेश मटियाल

ब्रेकिंग न्यूज या ब्रेकिंग फैक्ट

-जयेश मटियाल

मीडिया के चीनी मिशन

-जयेश मटियाल

अल-जजीरा तेरे देश में

-जयेश मटियाल

विज्ञापन सहारे पाकिस्तान

-जयेश मटियाल

शक्ति का आकाशीय मिशन

-जयेश मटियाल

साइबर वर्ल्ड में जिहाद 3.0

-जयेश मटियाल

चुनावी भाषा की चकल्लस

-जयेश मटियाल

शिकारी आंखों से कुंभ की कवरेज

-जयेश मटियाल

सच्चाई की फेक फैक्ट्री

-जयेश मटियाल

मौसम-समाचार का नया हथियार

-आनंद

सांस्कृतिक सीमाओं के बोध की वापसी

-आनंद

पंचायत चुनावों पर रणनीतिक चुप्पी

-आनंद

मीडिया का जम्मू-कश्मीर संकल्प और मत प्रचार

-आनंद

कठुआ के कठघरे मीडिया और मानवाधिकार

-आनंद

समाप्त हो गए डराने धमकाने के विशेषाधिकार

-आनंद

राजनीतिक परिवारों से सही प्रश्न पूछने का समय

-आनंद

कवरेज में भाषायी कुटिलता

-आनंद

समीक्षा

भारतीय यथार्थ का फिल्मी मोहल्ला

भारतीय यथार्थ को सांस्कृतिक संवेदनशीलता के साथ उतारने के प्रयास न के बराबर हुए हैं। प्रायः भारतीय सच को फिल्मी पर्दे पर इस तरह परोसा जाता है कि उससे आत्म-परिष्कार की बजाय आत्म-तिरस्कार की भावना पैदा होती है। अभी तक फिल्मी पर्दे पर परोसे गए सच से विद्वेष और पिछड़ेपन की मानसिकता ही पैदा होती रही है।

टिप्पणी :-

संचार को अब तक मीडिया क्षेत्र का समानार्थी मानकर जानने-समझने की कोशिश होती रही है। पहली बार संवादसेतु ने संचार की परिधि में कला क्षेत्र को सम्मिलित कर न केवल संचार को एक व्यापक आधारभूमि उपलब्ध कराई है, बल्कि कला का समसामयिक-सांस्कृतिक बोध से जोडने का कार्य किया है। संवादसेतु अपने समय की एक महत्वपूर्ण बौद्धिक पहल है।

त्रिवेणी प्रसाद तिवारी

संवादसेतु मीडिया के क्षेत्र में कार्य करने के इच्छुक नवागंतुक पत्रकारों को जरूर पढना चाहिए। संवादसेतु मीडिया के अनछुए और गंभीर आयामों से उनका परिचय करने में सक्षम है। यह संचार के एक वृहद परिप्रेक्ष्य से उनका परिचय कराता है और दायित्वबोध के साथ कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।

चंदन आनंद

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