पूनम की झूठी मौत में पीआर का खतरनाक खेल

लेखक, हास्यकार एवं प्रकाशक मार्क ट्वेन का एक बेहद चर्चित कथन है - सच जब तक जूते पहन रहा होता है, तब तक अफ़वाह आधी दुनिया का सफ़र तय कर लेती है। अभिनेत्री और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर पूनम पांडे द्वारा अपनी मौत की झूठी खबर वायरल करवाने के मामले में भी यही तथ्य उभरकर सामने आता है। पहली फरवरी को पूनम पांडे की पीआर टीम ने एक पोस्ट शेयर की। इसमें बताया कि 32 साल की एक्ट्रेस की सर्वाइकल कैंसर के चलते मौत हो गई है। मुख्यधारा के कई मीडिया संस्थानों ने बिना पुष्टि के इस खबर को चला दिया। सोशल मीडिया पर इस खबर के वायरल होते ही अभिनेत्री की दुखद मौत पर संवेदनाओं की बाढ़ सी आ गई। इसी बीच के दिन बाद एक्ट्रेस सोशल मीडिया पर आकर बताती हैं कि वे बिल्कुल ठीक हैं। साथ ही स्पष्टीकरण भी दिया कि सर्वाइकल कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से उसने यह झूठ बोला। गैर-जिम्मेदाराना ढंग से फर्जी सूचनाओं को प्रसारित करने का यह तो हुआ एक मामला। 

हैरानी यह कि सप्ताह भर के भीतर ही पूनम पांडे के नाम से जुड़ा ‘फेक न्यूज’ का एक और प्रकरण उद्घाटित होता है। कई बड़े मीडिया संस्थानों और सोशल मीडिया आउटलेट्स ने खबर चलाई कि अभिनेत्री पूनम पांडे को भारत सरकार सर्वाइकल कैंसर जागरूकता अभियान का मुख्य चेहरा बनाएगी। एक अति उत्साही राष्ट्रीय स्तर के मीडिया संस्थान की खबर का शीर्षक था, ‘मोदी सरकार देगी पूनम पांडे को बड़ा तोहफा, रचा था मौत का नाटक’। रिपोर्टिंग का एक अनिवार्य सिद्धान्त है कि किसी भी खबर की प्रामाणिकता के लिए आधिकारिक पुष्टि की जाए। मगर इस खबर को चलाने वाले किसी भी संस्थान ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों का बयान लेना आवश्यक नहीं समझा। इस एक लापरवाही से यह झूठी खबर खूब प्रसारित हुई। पहले से ही फर्जी खबर के कारण चर्चा में चल रही अभिनेत्री के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय का नाम जोड़कर मंत्रालय की साख को भी सवालिया बना दिया गया कि आखिर एक गैर-जिम्मेदाराना अभिनेत्री को मंत्रालय कैसे अपना ब्रांड एंबेसेडर बना सकता है।

मौत की झूठी खबर प्रसारित करवाने को लेकर पूनम पांडे सोशल मीडिया यूजर्ज से लेकर सामाजिक-कानूनी कार्यकर्ताओं और सिनेमा सेलिब्रिटीज के निशाने पर आ गईं। ऑल इंडियन सिने वर्कर्स एसोसिएशन ने उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर ने मुम्बई पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें कहा कि पूनम पांडे ने कैंसर जैसी बीमारी का मजाक बनाया। यह कैंसर पीड़ितों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। मौत की झूठी खबर फैलाने के आरोप में पूनम की मैनेजर निकिता शर्मा के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। सोशल मीडिया पर इसे ‘भद्दा’, ‘शर्मनाक’ और ‘प्रचार का निचला स्तर’ कह कर खूब आलोचना की गई। 

इसके बाद फिल्ममेकर अशोक पंडित ने एक वीडियो शेयर करते हुए कहा कि एक्ट्रेस ने कई लोगों के इमोशन्स के साथ खेला है। उन्होंने उन सभी लोगों का भी मजाक उड़ाया है, जो सर्वाइकल कैंसर से लड़ रहे हैं। मैं सभी गर्वमेंट लॉ एंजेसी से अपील करूंगा कि पूरे देश से झूठ बोलने और यह नाटक रचने के लिए एक्ट्रेस के खिलाफ एक केस दर्ज किया जाए। वहीं, द कश्मीर फाइल्स’ फेम डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा, ‘सोशल मीडिया के बढ़ते चैलेंजेस को देखते हुए मेरा मानना है कि यहां भी कुछ रेगुलेशन होने चाहिएं। खासतौर पर न्यूजमेकर्स के लिए और उनके लिए जो अपने आप को इन्फ्लुएंसर्स बोलते हैं। सनसनीखेज और नौटंकी को सामान्य बनाना खतरनाक है। फर्जी मौत की खबर तो बस शुरुआत है। आगे-आगे देखो होता है क्या (जस्ट वेट एंड वॉच)। नोएडा के एसीपी रजनीश वर्मा कहते हैं कि पूनम पांडे ने जो एक्ट किया, वो अवेयरनेस नहीं है। अवेयरनेस का यह तरीका नहीं है। यह क्राइम है। इससे सर्वाइकल कैंसर की दवाओं की कालाबाजारी शुरू हो सकती है। 

 

इस पूरे प्रकरण में अधिवक्ता मनीष ने जो चिन्ताएं जाहिर की हैं, उन पर ध्यान दिया जाना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि बेशक पूनम का कहना है कि उन्होंने जागरूकता के लिए ऐसा किया, लेकिन उनकी यह हरकत जागरूक करने वाली कम और लोगों के मन में कैंसर को लेकर डर पैदा करने वाली ज्यादा थी। जिस वक्त पूनम पांडे के मरने की झूठी खबर सोशल मीडिया पर आई, उस वक्त लोगों के मन में एक डर पैदा हुआ कि कल तक जो अभिनेत्री पार्टी कर रही थी, अचानक उसकी मौत हो गई। मतलब यह लाइलाज बीमारी है। आईपीसी की धारा 505 में प्रावधान है कि कोई ऐसी अफवाह जिससे लोगों के मन में भय और डर व्याप्त हो जाए, वो कानूनी तौर पर अपराध है।

चौतरफा आलोचना के बाद विवादास्पद अभियान के लिए जिम्मेदार एजेंसी श्बांग ने सोशल मीडिया पर सार्वजनिक माफी जारी की। श्बांग के आधिकारिक हैंडल ने पूनम पांडे के इस पब्लिसिटी स्टंट को लेकर माफी पोस्ट साझा किया। एजेंसी ने इसमें लिखा, हां, हम हॉटरफ्लाई के सहयोग से सर्वाइकल कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने की पूनम पांडे की पहल में शामिल थे। इसके लिए हम दिल से माफी मांगना चाहेंगे। विशेष रूप से उन लोगों के प्रति जो किसी भी प्रकार के कैंसर की कठिनाइयों का सामना करने और किसी प्रियजन के कारण उत्पन्न हुए हैं। अब सवाल उठता है कि क्या इस माफीनामे से उस क्षति की कितनी पूर्ति सम्भव है, जो एक झूठे प्रचार अभियान के दौरान हुई।  

झूठी सूचनाओं के प्रसारण का यह प्रकरण समूचे सूचना तन्त्र, विशेषकर मीडिया के लिए नए सिरे से आत्मावलोकन की जरूरत को रेखांकित कर रहा है। इस प्रकार किसी झूठी खबर को प्रसारित करना जनता के विश्वास के साथ खतरनाक खिलवाड़ सरीखा है। मीडिया की सुर्खियां बटोरने और ध्यान आकर्षित करने का यह एक अनुचित एवं निन्दनीय तरीका है। मशहूर हस्तियों और समाचार आउटलेट्स दोनों को सच्चाई और जिम्मेदार संवाद को प्राथमिकता देनी चाहिए। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्ज को समझना होगा कि उनके फॉलोवर्ज उनकी एक बड़ी ताकत हैं। इस ताकत का एहसास करते हुए पूरी जिम्मेवारी के साथ सूचनाएं साझा करनी चाहिएं। सबसे आगे भागने की होड़ में किसी भी सूचना की आधिकारिक पुष्टि के बिना उसे प्रकाशित करने और अधिक से अधिक पाठक, श्रेाता या फोलावर्ज के लिए सनसनीखेज सुर्खियों के खेल से बचना होगा। जिम्मेदार पत्रकारिता करते हुए पत्रकारीय-सिद्धान्तों को अपना पथप्रदर्शक बनाकर चलना होगा। तभी इस पूरे सूचना तन्त्र की विश्वसनीयता और प्रासंगिकता बची रह सकती है।

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